
Beh Chali Purvai
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डॉ. सुमन का भाषाओं का ज्ञान इनसे कहीं आगे तक फैला हुआ है, जिनमें संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, बंगाली और असमिया शामिल हैं। उनकी ढाई दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से एक दर्जन पुस्तकें अभी प्रकाशनाधीन हैं। उनके कार्य प्राथमिक कक्षा से लेकर एम.ए. स्तर तक के हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा और ज्ञान की गहराई को प्रदर्शित करते हैं।
वे मगही और मैथिली साहित्य के इतिहास के प्रतिष्ठित लेखक हैं। उनका लेखन कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना, निबंध और व्यंग्य सहित कई शैलियों में फैला हुआ है। ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन स्टेशनों में उनका नियमित योगदान है और उनकी साहित्यिक रचनाएँ देश भर के कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में छपती हैं।
अपनी साहित्यिक गतिविधियों के अलावा, डॉ. सुमन को गीत-लेखन, गायन और अभिनय में गहरी रुचि है, जो उनकी रचनात्मक प्रतिभा को और भी प्रदर्शित करता है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है और वह अपने गहन ज्ञान और जुनून से छात्रों और पाठकों को समान रूप से प्रेरित करते रहते हैं।
Description
डॉ. सुमन का भाषाओं का ज्ञान इनसे कहीं आगे तक फैला हुआ है, जिनमें संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, बंगाली और असमिया शामिल हैं। उनकी ढाई दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें से एक दर्जन पुस्तकें अभी प्रकाशनाधीन हैं। उनके कार्य प्राथमिक कक्षा से लेकर एम.ए. स्तर तक के हैं, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा और ज्ञान की गहराई को प्रदर्शित करते हैं।
वे मगही और मैथिली साहित्य के इतिहास के प्रतिष्ठित लेखक हैं। उनका लेखन कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, आलोचना, निबंध और व्यंग्य सहित कई शैलियों में फैला हुआ है। ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन स्टेशनों में उनका नियमित योगदान है और उनकी साहित्यिक रचनाएँ देश भर के कई समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में छपती हैं।
अपनी साहित्यिक गतिविधियों के अलावा, डॉ. सुमन को गीत-लेखन, गायन और अभिनय में गहरी रुचि है, जो उनकी रचनात्मक प्रतिभा को और भी प्रदर्शित करता है। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अमूल्य है और वह अपने गहन ज्ञान और जुनून से छात्रों और पाठकों को समान रूप से प्रेरित करते रहते हैं।
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