कविताओं का यह संग्रह जीवन के सभी रंगों का संगम माना जा सकता है। एक आम आदमी के जीवन के सभी अनुभव; भावात्मक जुड़ाव से लेकर मन को तोड़ देने वाली मुश्किलों तक, युवा सोच के जोश से लेकर वृद्ध संवेदनाओं तक, देश की बदलती राजनैतिक व्यवस्था से लेकर व्याकुल सामाजिक चेतना तक; इन काव्यधाराओं में सब समाहित हैं। विषय…
प्राण और प्रणय दोनों में ही खुले आसमान में उड़ान भरने की स्वतंत्रता हो, तभी तो हर रंग खुशरंग हो पाता है.. नहीं? Paperback: – 85 Pages (03 July 2023) Edition:- 1st Publisher: Novel Nuggets Publishers Language: Hindi ISBN: 978-9395312189
साहित्य चर्चा मैं अठारह साल उम्र से ही प्रारम्भ निया । मेरा मातृभाषा बांगला होने के कारण बांगला मैं ही लिखने लगे । छंद हए जे मन्द बोले मोर दादा नन्द यह पहला लिखी हुईु बांगला कविता है। सन 1982 मैं करीब 60 कविताएँ एक गीत नाटय ( बच्चों के साथ आनन्द करते थे) तथा एक दुतु संगीत (प्रकासित) तथा…
ये भारत वर्ष मैं पहला भूमिज - हिंदी और अंगरेजी शब्दकोश है। अपने वर्तमन रूप में यह शब्दकोश आदिवासी - गैर आदिवासी के हिंदी-अंगरेजी भाषा चैटरों अंगरेजी - हिंदी शिक्षक और आनंदकों के अतिरिक्त समन्य पथकों के लिए भी उपयोगी है। शब्दकोष मैं संकल्प शब्द संग्रह का आकार मिश्रित है। विलुप्त होती भूमिज भाषियों के लिए भूमिज-हिंदी-आंग्रेजी शब्दकोश एक संजीवनी…
मुंतजिर अर्थात् प्रतीक्षित यूं तो हर कोई अपने जीवन में किसी ना किसी चीज के लिए मुन्तजिर होता है। चाहे वो कोई शख्स हो या फिर क्यूं ना किसी के प्यार का इंतज़ार हो। असल में किसी के लिए मुन्तजिर रहना वो एहसास है जो शब्दों में बयान नहीं हो सकता, इसी एहसास को यहां पर दिखाए जाने का प्रयास…
"कहानी इक रेगिस्तानी रांझे की जो लदी है असंख्य उम्मीदों, अरमानों, सपनों, ख़्वाहिशों और आशाओं से, एक ऐसी कहानी जो चलती है अल्फ़ाज़ों, ज़ज़्बातों और अहसासों की अंगड़ाई से और अंत में इसी रेगिस्तान की मिट्टी में मिलकर रह जाती है खुद में समेटे इक सवाल कि-आखिर यह आत्महत्या क्यों? जबकि अंत में पछतावे के अलावा कुछ नहीं रहता, फिर…
शब्दों का जादू दुनिया में सबसे अधिक प्रभावशाली होता है। शब्द हताशा के भंवरजाल में फंसे मनुष्य को प्रेरणा की ऐसी खुराक दे सकते हैं कि वह विश्वविजेता बनकर पूरी दुनिया को फतह कर सकता है। शब्दों की ऐसी ही संजीवनी के द्वारा हमने भी समाज और देश में परिवर्तन की एक लहर लाने की चेष्टा की है। उम्मीद है…
“ खामोशियाँ कुछ बातें बनाती रही । उन लफ्जों को जोड़कर पंक्तियों मे सँजोती रही बहने दे स्याही , की थोड़ी गुफ्तगू भी उनसे की कुछ सरगोशियाँ कोरे कागज़ों से करती रही ।” “ सरगोशियाँ कोरे कागज़ से “ यह काव्य संकलन में संकलित कविताएँ कोरे पन्नों से की थोड़ी गुफ़्तगू है । गुफ़्तगू , जिसमे मैंने अपने हर विचारों…