सरगोशियाँ
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“ खामोशियाँ कुछ बातें बनाती रही । उन लफ्जों को जोड़कर पंक्तियों मे सँजोती रही बहने दे स्याही , की थोड़ी गुफ्तगू भी उनसे की कुछ सरगोशियाँ कोरे कागज़ों से करती रही ।” “ सरगोशियाँ कोरे कागज़ से “ यह काव्य संकलन में संकलित कविताएँ कोरे पन्नों से की थोड़ी गुफ़्तगू है । गुफ़्तगू , जिसमे मैंने अपने हर विचारों को इन कोरे कागज़ों के साथ बाँटा । इसमे लिखित कविताएँ , नज़्म , ग़ज़ल या शायरियाँ सभी में हिंदी और उर्दू भाषा का प्रयोग किया गया हैं । यह काव्य पुस्तक निर्दोष मन की निर्दोष भावनाओं का एक संग्रह है जो भावनाओं का आनंद लेती है । यह दिल के बंद दरवाज़ों को खुला करने और अनछुए जुनून और जीवन से संबंधित भावों को प्रतिबिंबित करने की कुंजी है। सभी कविताएँ मेरे शब्दों के माध्यम से आपके स्वयं के जीवन की छवि दिखाएगी। यह रचना एक सरल भाषा में है, फिर भी दिल को छूने वाली है और मुझे यकीन है कि यह आपको अपने मन और आत्माओं को भड़काने के साथ परिचित कराएगी ।
by
- Publisher: Novel Nuggets Publishers (31 January 2021)
- Language: Hindi
- Paperback: 117 pages
- ISBN-13: 978-9388758550
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